शीतल देसाई કી ગુજરાતી કવિતા કે હિન્દી અનુવાદ
न गुजार सितम ईतना, मेरे जीवन का आधार।
तुम तो मेरे प्राणप्रिय! क्यूँ छोड़ रहा मुझे मझधार?
मै बड़बड़ा ही रही थी कि एक सहेली आई
‘क्या हुआ जिजू के साथ झगड़ा? ; चिंता जताई।
सेहत अच्छी है ना?’ मेरे सर हाथ लगाया।
‘अरे नहीं, मै बोली, किस को सुनाऊ अपने दुख की कथा,
इस असार संसार मे कौन समझेगा मेरी व्यथा?
सखी उवाच: मुझ से क्या छिपाना अपनी दास्ताँ
हम ठहरे एक डाल के पंछी, सखी से इतनी क्यूँ झिझक?
जीजू को मै समझाती,
नहीं मानेंगे तो धमकाती,
‘अरे नहीं सुन सखी! मेरे दुख की कहानी।
यह तो है थी घाटीदेव की घर घर की कहानी ।
पतिदेव का प्रोब्लेम होता, तो किटी पार्टी मे दुखड़ा रोती,
‘हमारे वो.’. की कहानी भरे बाझार मे सुनाती।
अगर सास होती तो पास-पड़ौस मे निंदा करती,
अपनी राम कहानी ले के गली गली मे घूमती।
पर हाय रे किस्मत! यह तो घाटी की बात,
स.. स धीरे बोलो, दिवार के भी होते है कान।
अगर उसने सुन लिया तो?
काम छोड़ के चला गया तो?
अरे वो गया तो मै कैसे जिऊगी?
झाड़ू-पौंछा करके मर जाऊँगी।
अरे तुम कहो तो तनख्वाह बढ़ा दे,
कहो तो बड़ा टी वी लगवा दे।
सुबह मे चाय के साथ नाश्ता लगवा दे।
कहो तो लेटेस्ट फेशन के कपड़े दिलवाए,
मेरी अंधेरी ज़िंदगी के उजियारे,
तुम पर निर्भर मेरे सुख सारे,
तुम कही मत जाओ मुझे छोड़ के,
तुम तो मेरे प्राणप्रिय! मेरे जीवनाधार!